OBC Reservation in Civil Services: सरकारी नौकरी को लेकर युवाओ के बीच जो दीवानगी है, वह किसी से छिपी नहीं है. खासकर बात अगर IAS, IPS, IRS और IFS पदों की हो तो युवा सालों साल तैयारी में जुटे रहने को तैयार हैं.
यूपीएससी की तैयारी करने के लिए लोग लगातार कई साल तक कड़ी मेहनत करते हैं. लेकिन इसमें कुछ ऐसे भी हैं, जो खेल करके IAS बन जाते हैं. महाराष्ट्र कैडर की आईएएस पूजा खेडकर आजकल सुर्खियों में हैं. जांच के बाद पाता चला है कि पूजा ने आरक्षण का गलत फायदा उठाते हुए यूपीएससी की परीक्षा पास की.
पूजा खेडकर ने ओबीसी-एनसीएल और दिव्यांग श्रेणी के तहत यूपीएससी परीक्षा दी थी. उनका मामला सामने आने के बाद कई अन्य अधिकारियों पर भी जांच की गई. यूपीएससी में आरक्षण का खेल कैसे खेला जाता है, इस पर मेंटर और टीचर विकास दिव्यकीर्ति ने झकझोर देने वाला सच बताया है. विकास दिव्कीर्ति सर का ये इंटरव्यू देखने के बाद आपको इस बात का अंदाजा लग जाएगा कि यूपीएससी कैंडिडेट्स सरकार की नीतियों की किस तरह धज्जियां उड़ा रहे हैं. उनका ये इंटरव्यू अब खूब वायरल हो रहा है.
विकास दिव्यकीर्ति ने बताया कि आरक्षण का फायदा उठाने के लिए किस-किस तरह के खेल हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जितने भी लोगों को UPSC की सिविल सर्विस परीक्षा में आरक्षण का फायदा मिल रहा है, उसमें 10-20% से ज्यादा आरक्षण के लिए योग्य नहीं होते.
उन्होंने एक उदाहरण देकर भी समझाया कि ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण नीतियों की खामियों का गलत फायदा उठाकर लोग कैसे यूपीएससी क्रैक कर रहे हैं.
कैसे होता है सारा खेल
विकास दिव्यकीर्ति सर ने जो खेल बताया वो दंग कर देने वाला है. दरअसल, नियमों के अनुसार 8 लाख से ज्यादा इनकम वालों को जनरल श्रेणी का माना जाता है. लेकिन ग्रुप सी और डी में काम करने वाले माता-पिता के लिए 8 लाख की कोई बाध्यता नहीं है.
उनकी इनकम इससे ज्यादा होने पर भी उन्हें आरक्षण के लिए योग्य माना जाता है. यूपीएससी के आरक्षण नीति में एक खामी ये भी है कि इसमें ओबीसी कैंडिडेट के इनकम की कोई गिनती नहीं होती. वो महीने में 50 हजार कमाए या 50 लाख, उससे फर्क नहीं पड़ता. अगर उसके माता-पिता ओबीसी के दायरे में आते हैं तो उसे आरक्षण का लाभ मिलेगा.
दिव्यकीर्ति ने इसे एक उदाहरण देते हुए समझाया. उन्होंने कहा कि मान लीजिए कि मेरे पिता IAS अधिकारी हैं और अब उनकी रिटायरमेंट सिर्फ दो साल का समय रह गया है. मैं ओबीसी में हूं, लेकिन मेरे पिता क्लास-1 जॉब करते हैं तो मुझे ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. अब आईएएस बनने के लिए मैंने पापा से कहा कि जनरल से नहीं बन पाऊंगा, ओबीसी से बनना है, आप सपोर्ट करो. आप रिजाइन कर दो. उन्होंने रिजाइन कर दिया. अब मुझपर ये सीमा लागू नहीं होती कि मेरे पिता ग्रुप 1 जॉब में हैं.
अब मामला उनकी प्रॉपर्टी/ आय का होगा. इसके लिए मेरे पैरेंट्स गिफ्ट डीड से अपनी सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम कर देंगे. ऐसा करते ही उनकी वार्षिक आय 6 लाख रह गई. वहीं मेरी महीने की 60 लाख. लेकिन फिर भी ओबीसी आरक्षण मिलेगा, क्योंकि उनके लिए मेरी इनकम क्राईटीरिया है ही नहीं. तो अगर मैं हर महीने 50 लाख भी कमा रहा हूं और यूपीएससी परीक्षा दूंगा, मुझे ओबीसी आरक्षण का फायदा मिलेगा. उन्होंने कहा कि लोग ये कर रहे हैं.
UPSC की आरक्षण नीति
1. यूपीएससी के नियमों के अनुसार, ओबीसी क्रीमी लेयर उम्मीदवारों (माता-पिता की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से अधिक) को सामान्य श्रेणी का उम्मीदवार माना जाता है.
2. इसके अलावा जिन अभ्यर्थियों के माता या पिता प्रथम श्रेणी की नौकरी में हैं, उन्हें ओबीसी क्रीमी लेयर में डाल दिया गया है.
3. अगर माता-पिता दोनों ही ग्रुप बी में हैं, तो भी उन्हें जनरल ही माना जाएगा. हालांकि, ग्रुप सी और ग्रुप डी में आने वालों को ओबीसी माना जाता है, भले ही उनकी आय 8 लाख रुपये से अधिक हो.
4. यूपीएससी आरक्षण नीति में कृषि से होने वाली आय को शामिल नहीं किया गया है. इसलिए, कई सिविल सेवक कृषि से आय अर्जित करते हैं.
यूपीएससी में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण नीति
ईडब्ल्यूएस आरक्षण के जरिये भी कोई आईएएस या आईपीएस अधिकारी बन सकता है. ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत यूपीएससी परीक्षा में बैठने वालों के लिए नियम यह है कि उनके पूरे परिवार की आय गिनी जाती है, लेकिन केवल पिछले साल की. उम्मीदवार की आय की गणना करने के लिए कोई मानदंड भी नहीं है.