Dec 1, 2023, 19:48 IST

यूपी के इस जिले में अंग्रेजों ने जाति के आधार पर खोले थे बैंक, ऐसे होता था उनमें लेनदेन

आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों ने अलीगढ़ जिले में जाति आधारित बैंक भी खोले थे। इसके अलावा प्रत्येक बैंक के लिए एक नियम था कि बैंक किस जाति के लिए खुला है
यूपी के इस जिले में अंग्रेजों ने जाति के आधार पर खोले थे बैंक, ऐसे होता था उनमें लेनदेन?width=630&height=355&resizemode=4
ताजा खबरों के लिए हमारे वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने को यहां पर क्लिक करें। Join Now
हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहां पर क्लिक करें क्लिक करें

Harnoor tv Delhi news : उत्तर प्रदेश सरकार ने एक सरकारी आदेश के जरिए राज्य के सभी जिलों के लिए नए गजेटियर तैयार करने का आदेश दिया है. जिसमें अलीगढ का भी नाम है. अलीगढ़ का अंतिम गजेटियर 1909 में तैयार किया गया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों ने अलीगढ़ जिले में जाति आधारित बैंक भी खोले थे। साथ ही प्रत्येक बैंक के लिए यह नियम था कि जिस जाति के लिए बैंक खोला गया है उसी जाति के लोग लेन-देन कर सकते हैं।

उत्तर प्रदेश के अलीगढ जिले में पहला बैंक 1902 में अतरौली तहसील के अरनी गांव में शुरू किया गया था। बैंक के संचालन के बाद वर्ष 1905 में खैर में जिले में दो बैंक शुरू किये गये। एक बैंक जाटों के लिए और दूसरा चमारों के लिए था। बैंकों के बहुत सफल हो जाने के बाद 1906 में अतरौली क्षेत्र में दो और बैंक खोले गए, एक मुसलमानों के लिए और दूसरा चमार जाति के लिए। जाति के आधार पर बैंक खोलने के प्रयोग को अंग्रेजों ने अपनी रिपोर्ट में सफल बताया था।

1906 में रसलगंज में एक बैंक खोला गया।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर एम के पंडित ने कहा कि अंग्रेजों के आने के बाद जब अंग्रेजों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण कर लिया तो उन्हें बैंकों की जरूरत महसूस हुई। क्योंकि अंग्रेजों को अपने सभी लेन-देन के लिए बैंकों की आवश्यकता थी। तो अलीगढ में जो पहला बैंक खुला वह जाति के आधार पर खुला। तब से प्राप्त सन्दर्भों के अनुसार पहला राष्ट्रीय बैंक 1902 में अतरौली के अरनी क्षेत्र में खोला गया था। उस बैंक में किस तरह का लेन-देन हुआ, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. इसके बाद अलीगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग जाति के बैंक खोले गए और इन बैंकों में जाति के आधार पर लेन-देन किया जाने लगा।

अंग्रेजों द्वारा इन बैंकों को खोलने का उद्देश्य विनिमय के बिलों को प्रसारित करना था। क्योंकि जब विदेशी व्यापारी भारत आते थे तो अपने साथ धन नहीं लाते थे। अत: यहां लेन-देन और व्यापार दहेज के बल पर ही होता था। इसके अलावा अंग्रेजों ने आम आदमी को साहूकारों से मुक्त कराने का भी प्रयास किया। इस प्रकार जाति-आधारित बैंकों की शुरुआत हुई, जिसके बाद धीरे-धीरे जाति-रहित बैंक शुरू हुए। तो अगर हम अलीगढ के इतिहास पर नजर डालें तो अलीगढ बैंकिंग स्तर पर बहुत समृद्ध है। इनकी शुरुआत एक या दो बैंकों से हुई लेकिन आज़ादी के बाद इनका स्वरूप बदलता गया। फिर जनरल बैंक आना शुरू हुआ.

Advertisement