Harnoor tv Delhi news : निशानेबाजी और सेना में अपनी प्रतिभा दिखाने के बाद राजनीति में कदम रखने वाले कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भी राजस्थान के उन चुनिंदा नेताओं में से एक हैं जिनके राजनीतिक करियर की शुरुआत शानदार रही। राठौड़, जिन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और बाद में पहली बार जीत हासिल की और नरेंद्र मोदी कैबिनेट के सदस्य बने, को भाजपा ने विधानसभा चुनाव में उतारा है। भाजपा ने राजधानी जयपुर के राजपूत बाहुल्य जोतवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से राठौड़ को मैदान में उतारकर बड़ा दावा किया है।
29 जनवरी 1970 को जैसलमेर में जन्मे राज्यवर्धन ने 2004 एथेंस ओलंपिक में पुरुषों की डबल ट्रैप शूटिंग में अचूक निशाना लगाकर अपना पहला रजत पदक जीता। यहीं से उनका जीवन एक नई राह पर चल पड़ा। इसके बाद राठौड़ ने निशानेबाजी में कई और महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं. 2013 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और राजनीति में प्रवेश कर गये। ओलंपिक में रजत पदक जीतकर खुद को युवा आइकन के रूप में स्थापित करने वाले राठौड़ भाजपा में शामिल हो गए।
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राठौड़ पर भरोसा जताया और
उन्हें जयपुर ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से नामांकित किया गया था। राज्यवर्धन ने अपना पहला चुनाव भारी मतों से जीतकर अपनी लोकप्रियता दिखाई। सांसद बनते ही उन्हें मोदी कैबिनेट का हिस्सा बनने का सुनहरा मौका मिला। राठौड़ को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में राज्य मंत्री बनाया गया। अपने राजनीतिक सफर की जोरदार शुरुआत के बाद राठौड़ ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
राठौड़ जल्द ही राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर छा गए
मीडिया में लगातार सक्रिय रहने वाले राठौड़ ने जल्द ही राजनीतिक परिदृश्य में अपनी पहचान बना ली। वह सोशल मीडिया के जरिए लगातार युवाओं और आम लोगों से संवाद करते रहते हैं। इसके बाद बीजेपी ने उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर से जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया. खिलाड़ियों और युवाओं के बीच राठौड़ की लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस ने इस चुनाव में उनके खिलाफ देश की दूसरी सबसे बड़ी खेल हस्ती, अंतरराष्ट्रीय डिस्कस थ्रोअर कृष्णा पूनिया को मैदान में उतारा।
राठौड़ दूसरी बार मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं हो सके और
उन्होंने कृष्णा पुनिया को 4.4 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराया और लगातार दूसरी बार शानदार जीत हासिल की। लेकिन दूसरी बार वह मोदी कैबिनेट का हिस्सा नहीं बन सके. उस चुनाव में कांग्रेस को छोड़कर सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. हालांकि वह दूसरी बार मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं हो सके, लेकिन उनकी लोकप्रियता का ग्राफ अभी भी बरकरार है.
एक स्वच्छ एवं स्पष्टवादी नेता की छवि:
राठौड़ की दो जीतों का श्रेय काफी हद तक एक साफ-सुथरे और स्पष्टवादी नेता के रूप में उनकी छवि को दिया गया। अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज होने के नाते युवाओं के बीच उनका जबरदस्त क्रेज है। वहीं उन्होंने अपने दो कार्यकाल के दौरान सांसद निधि को गांव-गांव विकास कार्यों पर बेहद योजनाबद्ध तरीके से खर्च किया. उनकी बेहतर कार्यशैली के साथ-साथ उनका सैन्य अनुशासन भी काफी चर्चा में रहा। इस बार पार्टी ने उन्हें राजपूत बाहुल्य क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है. पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें इस सीट से मजबूत बढ़त मिली थी. लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी के बागी आशु सिंह सुरपुरा ने चुनौती दी है.