Nov 7, 2023, 11:31 IST

Chhath Puja 2023 : इस वर्ष बेहद खास है छट पूजा, जानें कब मनाई जाएगी, क्‍या है महत्व और प्रसाद

Chhath Puja 2023 significance : ज्योतिषी पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि यह छठ पूजा (Nahay Khay Date 2023) 4 दिनों तक चलेगी। यह छठ पूजा 17 नवंबर (chhath Puja 2023 Date) को नहाय खाय के साथ शुरू होगी। इसके साथ ही ज्योतिषी ने प्रसाद और नियम भी बताए हैं। आइए जानते हैं इस पूजा के बारे में क्‍या मिलता है शुभ फल 

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Harnoortv. New Delhi : देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित नंदकिशोर मुदगल ने बताया कि छठ महापर्व चार दिनों तक चलने वाला एक अनोखा अनुष्ठान है। इस बार चपरामजीत कुमार/देवघर। कहते हैं

छठ महापर्व सिर्फ एक त्योहार नहीं है बल्कि इससे लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में लोग इसे बड़ी आस्था और भक्ति के साथ मनाते हैं।

हालाँकि, अब यह पूरे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक भी पहुँच गया है। इसलिए जो लोग काम के लिए दूर के राज्यों या विदेश में रहते हैं वे भी छठ पर्व के दौरान अपने घर लौटते हैं।

छठ पर्व का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि इस दिन उगते सूर्य के साथ-साथ डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देने की परंपरा है। यह त्योहार चार दिनों तक चलता है, इस दौरान भक्त 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखते हैं।

पंचांग के अनुसार छठ पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस दिन पहला भाग पड़ता है। आइए देवघर के ज्योतिषी से जानते हैं कि इस साल छठ पर्व कब से शुरू हो रहा है और इसका मुख्य प्रसाद क्या है?

क्या कहते हैं ज्योतिषी?
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि छठ महापर्व चार दिनों तक चलने वाला एक अनोखा अनुष्ठान है। यह त्यौहार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।

इस वर्ष मलमास के कारण सभी त्योहारों की तिथियां बढ़ गई हैं। छठ महापर्व 17 नवंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा। इसका पालन 18 नवंबर तक किया जाएगा। इस दिन दूध और चावल से बना विशेष प्रसाद चढ़ाया जाता है।

19 नवंबर को शाम को पहला अर्घ्य दिया जाएगा और 20 नवंबर को उगते सूर्य को पहला अर्ध्य दिया जाएगा। यह मनाया जायेगा।यह उत्सव 17 नवंबर को नरहे खाना में शुरू होगा। इसके साथ ही उन्होंने प्रसाद और नियमों का भी जिक्र किया है।

पंडित नंदकिशोर मुदगल के मुताबिक छठ महापर्व का मुख्य प्रसाद केला और नारियल होता है, लेकिन चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व का महाप्रसाद ठेकुआ होता है। यह पूरे देश में मशहूर है। यह ठेकुआ गेहूं के आटे, गुड़ और शुद्ध घी से बनाया जाता है।

इस प्रसाद के बिना छठ पर्व की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसके साथ ही खरन के दिन शुद्ध अरवा चावल की खीर बनाई जाती है। यह खीर दूध, गुड़ और अरवा चावल से बनाई जाती है। इस प्रसाद को खाकर भक्त 36 घंटे तक बिना पानी के उपवास करते हैं।

छठ महापर्व का महत्व क्या है?

देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषियों ने बताया कि छठ पूजा संतान प्राप्ति के लिए रखी जाती है। माताएं अपने बच्चों की सुरक्षा और सुखी जीवन के लिए छठ पूजा करती हैं। छठ पूजा का व्रत सबसे कठिन होता है।

त्योहार की शुरुआत भोजन से होती है। श्रद्धालु दूसरे दिन शाम को खरना का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते हैं। इस बीच तीसरे दिन शाम को डूबते सूर्य को और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद पारण के साथ उत्सव का समापन होता है।

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