Apr 1, 2024, 19:50 IST

क्या आपने कृष्ण केदार का नाम सुना है? इसके दुश्मनों में पेट के कीड़े से लेकर गठिया, मधुमेह और कैंसर तक शामिल हैं।

कृष्ण केदार के फायदे: हल्दी तो आप खाते ही होंगे लेकिन क्या आपने कभी कृष्ण केदार खाया है? इससे पहले कि आप भ्रमित हों, हम आपको बता दें कि कृष्ण केदार को असल में काली हल्दी कहा जाता है। काली हल्दी एक दुर्लभ पौधा है जो अब केवल उत्तराखंड और मेघालय के आसपास ही पाया जाता है। काली हल्दी पर बहुत सारे शोध हुए हैं। एनसीबीआई जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, काली हल्दी या कृष्ण केदार कई बीमारियों को रोकने और ठीक करने की क्षमता रखती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कृष्ण केदार में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो पेट के कीड़ों को भी मार देते हैं।
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Harnoor tv Delhi news : एनसीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कृष्ण केदार या काली हल्दी में प्लांट फाइटोकेमिकल्स होते हैं। इसलिए इसमें कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट के कारण यह कोशिकाओं से ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है। ऑक्सीडेंट तनाव कम होने से शरीर में हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, त्वचा क्षति आदि का खतरा कम हो जाता है।

कृष्ण केदार या काली हल्दी में जीवाणुरोधी गुण होते हैं। बैक्टीरिया कई बीमारियों के लिए जिम्मेदार होते हैं। कृष्ण केदार बैक्टीरिया को मारकर कई प्रकार की बीमारियों से बचाता है। विशेष रूप से, यह ग्राम-पॉजिटिव और ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया को तेजी से मारता है। ये बैक्टीरिया अक्सर दस्त का कारण बनते हैं। इसके अलावा यह पेट में मौजूद कई तरह के हानिकारक कीड़ों को भी मारता है।

कृष्ण केदार में एंटीफंगल गुण भी होते हैं। यानी यह खुजली के लिए जिम्मेदार फंगस या फंगस को मारता है, जिससे खुजली वाली त्वचा की समस्या से राहत मिलती है। लोग काली हल्दी को पीसकर खुजली वाली जगह पर लगाते हैं। हालांकि, इसे कितनी मात्रा में लगाना है इसके बारे में डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।

कृष्ण केदार की पत्तियों और प्रकंदों में कई ऐसे यौगिक होते हैं जिनमें कैंसर रोधी गुण होते हैं। इसलिए वैज्ञानिकों ने इसे कैंसर की दवा में इस्तेमाल करने की हरी झंडी दे दी है। अध्ययनों के मुताबिक काली हल्दी पेट और लिवर कैंसर में बहुत अच्छा काम करती है।

कृष्ण केदार गठिया और अल्सर जैसी बीमारियों के लिए रामबाण है। दरअसल, काली हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। जब कोशिकाओं में सूजन आ जाती है तो यह गठिया, गठिया, अल्सर जैसी बीमारियों का कारण बनती है। काली हल्दी में हेक्सेन, मेथनॉलिक, पोस्टग्लाडिन जैसे एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिक होते हैं जो गठिया, अल्सर जैसी बीमारियों को कम करते हैं।

कृष्ण केदार में मधुमेह रोधी गुण होते हैं। विशेषकर इसके प्रकंद यानि कंद में। जब चूहों पर इसका परीक्षण किया गया तो पाया गया कि काली हल्दी के अर्क ने चूहों में रक्त शर्करा को तेजी से कम कर दिया। यह इंसुलिन के लिए जिम्मेदार बीटा कोशिकाओं को भी सक्रिय करता है।

आप कृष्ण केदार का उपयोग दर्दनिवारक के रूप में भी कर सकते हैं। घाव के दर्द, बदन दर्द, सिरदर्द आदि में एनाल्जेसिक के रूप में कार्य करता है। काली हल्दी का इस्तेमाल सबसे ज्यादा खूबसूरती निखारने के लिए किया जाता है। तुर्की में काली हल्दी से तुर्की स्नान किया जाता है। यह त्वचा से मुक्त कणों को हटाता है और उसे चमकदार बनाता है।

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