Harnoor tv Delhi news : आयुर्वेदिक चिकित्सा (आयुर्वेद) दुनिया की सबसे पुरानी समग्र उपचार प्रणालियों में से एक है। इसका विकास भारत में 3,000 वर्ष से भी पहले हुआ था। आयुर्वेद में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले औषधीय पौधों का उपयोग किया जाता है, जो शरीर में कई प्रकार के विकारों से राहत दिलाने में मदद करते हैं। आज हम एक ऐसे पौधे के बारे में बात कर रहे हैं, जिसमें कई उपचार गुण हैं। इस गुणकारी पौधे का नाम गिलोय है, जो खासतौर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जाना जाता है। आयुर्वेद में इसका उपयोग सामान्य स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और बुखार, संक्रमण और मधुमेह सहित कई समस्याओं से राहत पाने के लिए किया जाता है।
गिलोय का इस्तेमाल लोग सदियों से करते आ रहे हैं लेकिन कोरोना महामारी के दौरान यह लोकप्रिय हो गया। इसके रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुणों के कारण ज्यादातर लोग इस खतरनाक बीमारी से खुद को बचाने के लिए गिलोय को अपने आहार का हिस्सा बनाते हैं। फिर भी बहुत से लोग इसके फायदे नहीं जानते। आज हम आपको न सिर्फ इसके फायदों के बारे में बताएंगे बल्कि इसके सही उपयोग के बारे में भी बताएंगे और किन लोगों को गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए।
क्या अत्यधिक सेवन हानिकारक हो सकता है?
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से आए आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य विजय प्रकाश जोशी ने बताया कि गिलोय का इस्तेमाल बालों से लेकर पैरों तक शरीर की सभी समस्याओं के लिए फायदेमंद है। उन्होंने यह भी महत्वपूर्ण जानकारी दी है कि गिलोय का अधिक सेवन हानिकारक हो सकता है. इसका प्रयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए।
इन लोगों को गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए।आचार्य
विजय प्रकाश जोशी ने कहा कि लीवर और किडनी के संक्रमण से पीड़ित लोगों को गिलोय का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। प्रतिदिन 10 ग्राम तक इसका सेवन फायदेमंद होता है, जिसका सेवन लोग लगातार तीन महीने तक कर सकते हैं, इससे अधिक सेवन करने से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है।
गिलोय क्या है?
गिलोय (टिनोस्पोरा कॉर्डिफ़ोलिया) भारत का मूल निवासी है। यह एक लता है, जो तने के सहारे ऊपर चढ़ती है। आयुर्वेदिक और लोक चिकित्सा में इसे एक आवश्यक हर्बल पौधा माना जाता है, जिसका उपयोग लोग कई प्रकार की बीमारियों के इलाज के रूप में करते हैं। गिलोय को गुडूची और अमृता के नाम से भी जाना जाता है। गिलोय शब्द एक हिंदू पौराणिक शब्द है, जबकि संस्कृत में गुडूची का अर्थ है कुछ ऐसा जो पूरे शरीर की रक्षा करता है और अमृत का अर्थ है अमरता।