शाहबाद डेयरी में रहने वाली लड़की के पिता श्रीकांत भगत, अमेरिकन बुल के मालिक पर पुलिस की कार्रवाई ना होने से बहुत नाराज हैं। वो कहते हैं कि 9 जनवरी के बाद तो कॉलोनी के बच्चे खुले में खेलना ही बंद कर चुके हैं, इतना डर है। एफआईआर चोट पहुंचाने के लिए धारा 337 के तहत हुई है, जिसमें छह महीने की जेल और थोड़ा जुर्माना हो सकता है। ज्यादातर तो सिर्फ जुर्माना ही हो जाता है। कोई सख्त सजा होनी चाहिए। श्रीकांत आगे कहते हैं कि ऐसे खतरनाक कुत्ते को पालने का लाइसेंस क्यों नहीं लिया गया और कुत्ते को अकेला छोड़ने के लिए उस मालिक को सजा क्यों नहीं मिली?
दिल्ली में बच्चों पर कुत्तों के हमले की घटनाएं बढ़ने से लोगों में चिंता बढ़ गई है। हाल ही में शाहबाद डेयरी में एक अमेरिकन बुल कुत्ते ने 7 साल की बच्ची पर हमला कर दिया, जिससे उसको चोटें आईं। इस घटना के बाद से कॉलोनी के बच्चे डर के कारण बाहर खेलने से भी कतराते हैं।
कुत्ते की आक्रमकता के मालिक जिम्मेदार?
कुत्तों के हमलों को लेकर डॉक्टर अभिषेक डाबर जैसे पशु चिकित्सकों और कुत्ता विशेषज्ञों का मानना है कि कुत्तों की आक्रामकता के लिए ज्यादातर उनके मालिक जिम्मेदार होते हैं। वे कहते हैं कि अनुचित प्रजनन से कुत्तों को स्वास्थ्य समस्याएं तो होती ही हैं, साथ ही उनके व्यवहार में भी बदलाव आते हैं। अगर मालिक कुत्तों के साथ पर्याप्त समय नहीं बिताते या उन्हें ठीक से ट्रेनिंग नहीं देते तो उनका व्यवहार आक्रामक हो सकता है।
कुत्तों की उचित ट्रेनिंग जरूरी
कुत्तों को पालना अच्छा है, लेकिन अगर उनको सही तरीके से नहीं संभाला जाए तो वो खतरनाक भी बन सकते हैं। हाल ही में दिल्ली में कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं ने इस बात को उजागर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कुत्तों को उचित अनुशासन देना बहुत जरूरी है, नहीं तो वो आक्रामक हो सकते हैं।
समस्या की जड़
अक्सर लोग कुत्तों को दोस्त की तरह पालते हैं, लेकिन मालिक-पालतू का रिश्ता नहीं बनाते। इससे कुत्तों में अनुशासन की कमी आती है। समस्या तब और बढ़ जाती है जब कुत्ते मालिकों के साथ खाते-पीते हैं, उनके आस-पास सोते हैं या कार की अगली सीट पर बैठते हैं। यह व्यवहार कुत्तों में हावी होने की भावना पैदा करता है और वो अपनी जगह की रक्षा के लिए किसी पर भी हमला कर सकते हैं।
लापरवाही और अज्ञानता
दिल्ली में महंगे और खतरनाक कुत्तों की नस्लों, जैसे रॉटवीलर और पिट बुल, का अनैतिक प्रजनन होता है और फिर इन्हें अनुभवहीन मालिक, ज्यादातर दिखावा करने के लिए, पालते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे भयानक हादसों के लिए न सिर्फ ब्रीडर बल्कि मालिक भी जिम्मेदार होते हैं, जिन्हें जानवरों के व्यवहार का ज्ञान नहीं होता।
लाइसेंसिंग प्रक्रिया में लापरवाही
दिल्ली नगर निगम का काम है कि जानवरों पर क्रूरता रोकथाम नियम, 2018 के तहत ब्रीडर और विक्रेताओं को लाइसेंस दें। लेकिन इस नियम का पालन ठीक से नहीं होता। नियम कहते हैं कि कुत्तों को रखने के लिए अच्छे तापमान और अन्य सुविधाओं का ध्यान रखना जरूरी है। लेकिन, नगर निगम के अधिकारी भी मानते हैं कि शहर में अभी तक कोई ऐसा लाइसेंस जारी नहीं किया गया है। हाल ही में दिल्ली में कुत्तों के हमलों की चिंताजनक बढ़ोतरी के बाद लाइसेंसिंग प्रक्रिया और उचित प्रशिक्षण की कमी पर सवाल उठाए जा रहे हैं।