Bambai Meri Jaan Review

गुनाह दो किस्म के होते हैं। एक खुदा और बंदे के बीच। और, एक बंदे और बंदे के बीच। खुदा रहमानुर्रहीम है, वह बंदे को माफ करता है

ये संवाद वेब सीरीज ‘बंबई मेरी जान’ का आखिरी संवाद है

देश के मोस्ट वांटेड आतंकवादी करार दिए जा चुके उस अंडरवर्ल्ड डॉन की बहन जो अपने भाइयों और उसके सिपहसालारों के बंबई से दुबई भाग जान के बाद अपने सबसे बड़े भाई के कातिलों से आखिरी बदला लेने के बाद बोलती है

कहानी डोंगरी से दुबई की है

लेकिन, 10 एपीसोड की ये कहानी उस शख्स को हीरो बना देती है जिसकी तलाश में देश के तमाम सूबों की पुलिस और खुफिया एजेंसिया न जाने कब से लगी हुई हैं।

इन दिनों इतिहास फिर से लिखा जा रहा है

जो काम जावेद अख्तर ने अपने जोड़ीदार के साथ मिलकर कोई 48 साल पहले रिलीज हुई फिल्म ‘दीवार’ मे किया था, उसका अगला चैप्टर उनके बेटे फरहान अख्तर ने ‘बंबई मेरी जान’ में लिखा है।

दाऊद इब्राहिम की पिक्चर, शुरू से

अब बारी प्राइम वीडियो की है। दाऊद इब्राहिम पर हिंदी सिनेमा में तमाम फिल्में बनी हैं। कभी सीधे नाम लेकर तो कभी बिना उसका नाम लिए। ‘बंबई मेरी जान’ दूसरी किस्म की वेब सीरीज है।

ये दाऊद की जिंदगी की पिक्चर है

बिल्कुल शुरू से। ‘दीवार’ अगर याद हो तो उसका सिलसिला भी कुछ कुछ ऐसे ही शुरू होता है। परवीन बाबी और अमिताभ बच्चन वाले बेडरूम सीन जैसा सीन भी यहां है

यहां भी एक लाचार मां है।

कोसती है खुद को। भरोसे और मोहब्बत के बीच पिसती ये मां अपने बड़े बेटे की शादी से ठीक पहले खुद पर लानत भेजती है कि वह न एक अच्छी बीवी बन सकी और न एक अच्छी मां।

बाप से मिली अमिट निशानी

ये तीन भाइयों और एक बहन वाले परिवार भी कमाल होते हैं। बड़ा भाई प्रेमचंद की कहानी बड़े भाई साहब जैसा सुलूक करता रहता है। बीच वाला भाई अपने बाप की बेइज्जती का बदला लेने को शहर के सबसे नामी डॉन का अखाड़ा जला देता है