चंद्रयान:

वर्ष 2014 से पहले भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ा सिर्फ एक टेक्नोलॉजी स्पेस स्टार्ट-अप था, वहीं अब ऐसे स्टार्ट-अप की संख्या 140 तक पहुंच चुकी है।

एक जमाने में भारत को सपेरों का देश कहा जाता था

लेकिन अब भारत अंतरिक्ष की दुनिया में एक महाशक्ति बनने की राह पर अग्रसर है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी भूमिका को पूरी तरह से बदल दिया है।

वर्ष 2014 से

पहले जहां भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ा सिर्फ एक टेक्नोलॉजी स्पेस स्टार्ट-अप था, वहीं अब ऐसे पंजीकृत स्टार्ट-अप की संख्या 140 तक पहुंच चुकी है।

अभी अंतरिक्ष सेवाएं देने के मामले में भारत

अमेरिका, चीन, जापान और ब्रिटेन के बाद पांचवें स्थान पर पहुंच चुका है। अभी पूरी दुनिया की स्पेस इकनॉमी लगभग 30 लाख करोड़ रुपये की है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 57,431 करोड़ रुपये की है।

चंद्रयान-3 पूरी तरह से 'मेड इन इंडिया' है

चंद्रयान-3 में भी उसी लॉन्चिंग व्हीकल का उपयोग किया गया है, जिसका चंद्रयान-2 में किया गया था। इस यान में कई वैज्ञानिक उपकरण हैं,

जो चांद की

सतह का अध्ययन करेंगे। इस साल मार्च में इस यान के जरूरी परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए गए थे। इसमें चांद पर लॉन्चिंग के दौरान आ सकने वाली संभावित परिस्थितियों का आकलन किया गया था।

चंद्रयान-3 में तीन मॉड्यूल क्रमशः

प्रोपल्शन (प्रणोदन), लैंडर तथा रोवर हैं। 'प्रणोदन मॉड्यूल' में चांद की कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवीय माप का अध्ययन करने के लिए 'स्पेक्ट्रो पोलरिमेट्रिक ऑफ हैबिटेबल प्लेनेट अर्थ' (एसएचएपीई) नामक उपकरण है,

इसके अलावा प्रणोदन मॉड्यूल

वैल्यू एडिशन के रूप में एक वैज्ञानिक उपकरण भी है, जिसे लैंडर मॉड्यूल के अलग होने के बाद संचालित किया जाएगा।