Harnoortv. New Delhi : आज भी ज्यादातर उत्तर भारतीय पंजाबी फिल्मों को कॉमेडी से जोड़कर देखते हैं। इस साल कॉमेडी फ्रेंचाइजी 'कैरी ऑन जट्टा' की तीसरी किस्त पंजाबी फिल्म उद्योग के लिए सबसे अधिक लाभदायक फिल्म बन गई।
गिप्पी ग्रेवाल की 'कैरी ऑन जट्टा 3' दुनिया भर में 100 करोड़ का आंकड़ा पार करने वाली पहली पंजाबी फिल्म बन गई है। लेकिन इन बड़े बजट की कॉमेडी ड्रामा और मसाला फिल्मों में इस साल पंजाबी इंडस्ट्री से कुछ कमाल की फिल्में आई हैं।
भारतीय पंजाबी सिनेमा ने इस साल 'मौध' और 'मस्ताने' जैसी पीरियड फिल्मों में अपना हाथ आजमाया है। दूसरी ओर, महिलाओं की आवाज पंजाबी फिल्मों की कहानी का बड़ा हिस्सा बन रही है। साल की शुरुआत में 'काली जोट्टा' ने लड़कियों को उनकी मनचाही जिंदगी जीने के अधिकार के लिए आवाज उठाई।
'गोड्डे गोड़े चा' के नारे लगाते हुए कॉमेडी का सहारा लेते हुए महिलाएं अपने परिवार के पुरुषों से शादी करने की होड़ करती नजर आईं। इन दोनों फिल्मों की सीरीज को एक कदम आगे बढ़ाते हुए अब एक नई फिल्म आ रही है जिसके ट्रेलर की काफी चर्चा हो रही है।
चिड़िया दा चंबा
'पक्षियों का झुंड' न केवल पंजाब में बल्कि देश के कई अन्य हिस्सों में भी लोक गीतों और लोककथाओं में एक लोकप्रिय छवि है। पक्षी की यह छवि अक्सर लड़की की विदाई पर गाए जाने वाले गीतों में दिखाई देती है, खासकर शादी के बाद।
पंजाबी में भी 'चिड़ियाँ दा चम्बा' का प्रयोग विदाई गीत और डोली गीत में किया जाता है। परंपरागत रूप से, यह छवि लड़कियों को उनके माता-पिता के घर से ससुराल की ओर जाते हुए, यानी एक पिंजरे से निकलकर दूसरे पिंजरे में जाते हुए दिखाती है। लेकिन प्रेम सिंह सिद्धू की 'चिड़ियां दा चंबा' इस छवि को बदलने का काम कर रही है।
कहानी क्या है?
इस फिल्म का ट्रेलर हाल ही में रिलीज हुआ है और इसमें चार लड़कियों की कहानी देखी जा सकती है। फिल्म में शरण कौर, नेहा पवार, अमायरा दस्तूर और मेहनाज खान हैं।
उनके साथ शिवज्योत और नमन खरूर डेब्यू कर रहे हैं। ट्रेलर में इन चारों की निजी जिंदगी की झलक देखने को मिल सकती है। एक लड़की खेल खेलना चाहती है, जबकि दूसरी शहर जाकर अपने सपने जीना चाहती है। अपने सपनों का जीवन जीने के लिए उन सभी को जो सहना पड़ता है वह भयावह लगता है।
इनमें से एक लड़की के हाथ में हथकड़ी लगी हुई दिख रही है, शायद उसे कहीं बंधक बनाकर रखा गया है। एक लड़की प्रताड़ना झेल रही है। इन चारों का जीवन दयनीय बनाना एक ऐसे आदमी का हाथ है जो एक गुंडा है और शायद उसके पास राजनीतिक शक्ति भी है।
ये चारों लड़कियां एक साथ आती हैं और अपने साथ हुई घटना का बदला लेने के लिए बंदूक उठा लेती हैं। ट्रेलर में डायलॉग है- 'जिंदगी तो सबको मिलती है, लेकिन जीने की आजादी हर किसी को नहीं मिलती।
जहां 'काली जोट्टा' और 'गोड्डे गोड़े चा' में महिला किरदार अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रही थीं और पुरुषों की सत्ता को चुनौती दे रही थीं।
जबकि 'चिड़ियां दा चंबा' अपनी आजादी के लिए लड़ने वाली लड़कियों का एक गिरोह बनाकर इस विषय को एक कदम आगे ले जाता है। 'चिड़ियां दा चंबा' 13 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।
इस साल सामग्री के मामले में बहुत सी नई चीजें लेकर आई यह नई पंजाबी फिल्म निश्चित रूप से दर्शकों के टिकट पर खर्च किए गए समय और पैसे की हकदार है।