'2008-09 का साल था। बड़ा भाई दुबई की एक मल्टीनेशनल पेट्रोलियम कंपनी में इंजीनियर था। मैं उससे 3 साल छोटा था। हम दोनों के बीच बहुत लगाव था। सारी चीजें बेहतर तरीके से चल रही थीं। तभी पता चला कि उसे माउथ कैंसर हो गया है। दुबई में भी इलाज करवाया, पर कोई फायदा नहीं पहुंचा।
थक-हारकर इंडिया बुलवाना पड़ा। मिडिल क्लास फैमिली थी, जितनी जमा-पूंजी थी, सब इलाज में लग गया। शायद ही कोई जगह होगी जहां हम इलाज के लिए नहीं वे। लाख जतन के बावजूद भी उसे नहीं बचा पाए। सब कुछ बिक गया। सारी चीजें शून्य हो गईं।
समझ में नहीं आ रहा था कि कहां से, कैसे फिर से घर-परिवार को शुरू करूं। कुछ साल तक नौकरी की, फिर अपना बिजनेस शुरू किया। 2020 में कोरोना महामारी के दौरान लैब में मशरूम तैयार करने के बारे में पता चला। मैं केमिस्ट्री का स्टूडेंट था। करीब एक साल की ट्रेनिंग के बाद लैब में मशरूम तैयार
ये काफी कॉस्टली होता है। एक किलोग्राम मशरूम की कीमत 2.5 लाख रुपए होती है। दरअसल, इसका प्रोडक्शन बहुत कम हो पाता है। हालांकि, 8 महीने में ही करीब 15 लाख रुपए के मशरूम सेल कर चुका हूं।'
हितेश कहते हैं, ‘2022 में मैंने इस काम की शुरुआत की थी। केमिस्ट्री का स्टूडेंट रहा हूं। लेबोरेटरी, टेस्टिंग… इन सारी चीजों में दिलचस्पी रही है। जब 2008 में मैंने अपने भाई को खो दिया, तो लगा कि सब कुछ खत्म हो गया। कई महीनों तक डिप्रेशन में चला गया।